Wednesday, January 22, 2025

2-104 लोमश ऋषि आश्रम राजीम


श्रीराम ने यहाँ नदियों के किनारे लम्बी यात्रा की थी तथा ऋषियों के आश्रम भी प्रायः नदियों के किनारे ही होते थे। इसी क्रम में श्रीराम यहाँ लोमश ऋषि के दर्शनार्थ आये। आज भी यहाँ लोमश जी का विशाल आश्रम है।
ग्रंथ उल्लेख व आगे का मार्ग
वा.रा. 3/7, 8 दोनों पूरे अध्याय 3/11/28 से 44 तक, मानस 3/9/1 से 3/11 दोहे तक। विशेष टिप्पणीः श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम (अगस्त्येश्वर मंदिर) गये। अतः वहाँ तक मानस से कोई संदर्भ नहीं मिलते। गोस्वामी जी द्वारा वर्णित सकल मुनि (मा.3/9 दोहा) दण्डक वन में थे। उनकी चर्चा जन श्रुतियों के 
आधार पर ही करेंगे। क्योंकि उन सकल मुनियों के नाम, ग्राम, आश्रम आदि का कोई वर्णन नहीं दिया है। हां जन श्रुतियों में वे आश्रम आज भी जीवंत है तथा उनके सभी स्थलों पर अवशेष तथा लोक कथाएँ मिलती हैं।रामायण के अरण्य काण्ड के 8,9,10 अध्यायों के अनुसार श्रीराम सुतीक्ष्ण आश्रम से प्रस्थान करते हैं। मार्ग में राक्षसों के वध संबधी प्रतिज्ञा पर मां सीता  से श्रीराम चर्चा करते हैं। इन अध्यायों में केवल यही चर्चा हैं। मार्ग का कोई संकेत नहीं है। इन दस वर्षों में प्रथम संकेत पंचाप्सर का मिलता है। अतः अब उनका विवरण देखते हैं। विशेष संकेत के रूप में वा.रा. 3/11/21 से 28 तक देखें।
लोमश आश्रम से रूद्रेश्वर……वाल्मीकि आश्रमः- राजीम – नवांगांव – चन्दना -परसाट्टी-करेली-दौराभाटा-गिरोड़ -मेघा-विर्झुली-सिंघपुर-भंडारवाड़ी -सराइटोला-डोंगरडुला-चुरियारा-मुकुन्दपुर-रतावा-मुहकोट-वहीगांव।राजिम-नगरी रोड़ से 109 कि.मी.नोट: आगे मार्ग क्रम इस प्रकार रहेगा लोमश आश्रम – रूद्रेश्वर- रामलक्ष्मण मंदिर- शरभंग आश्रम-दलदली – अगस्त्य आश्रम- हर्दीभाटा – श्रंृगी आश्रम सिहावा-श्शांता मंदिर-वाल्मीकि आश्रम, टांगरी डोंगरी-वाल्मीकि आश्रम, सीतानदी-मुचकुंद आश्रम मैचका-अंगिरा आश्रम रतावा-कर्क आश्रम। दूरी लगभग 200 कि. मी

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