2-188 रामतीर्थ जमखण्डी बालकोट कर्नाटक
188. रामतीर्थ, जमखंडी अथणी से 60 कि.मी. दक्षिण दिशा में जमखण्डी में
भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। श्रीराम ने यहाँ शिव पूजा की थी।
वा. रा. 3/69/1 से 9 तक मानस 3/32/2
रामतीर्थ जमखण्डी से कबन्ध आश्रमः- जमखण्डी-मुधोल-लोकापुर-मुदकवी- करड़ीगुड। एस. एच.-34 से 72
कि.मी.।
189. अयोमुखी गुफा रामदुर्ग से 16 कि.मी. दूर एक पहाड़ी पर राक्षसी की गुफा है। उसने भोग विलास की कामना से लक्ष्मणजी को पकड़ लिया तथा
लक्ष्मणजी ने उसके नाक, कान काट
डाले थे। वा. रा. 3/69/9 से 18
नोटः अयोमुखी गुफा तथा कबंध आश्रम निकट ही हंै। अतः अलग मार्ग देना आवश्यक नहीं है।
190. कबंध आश्रम, रामदुर्ग करड़ी गुड्ड (रीछों का पहाड़) नामक गाँव के पास पहाड़ी पर एक टेढे़-मेढे़ पत्थर की मूर्ति रखी है। यह मूर्ति
वाल्मीकि रामायण में वर्णित कबंध के शरीर से मेल खाती है। स्थानीय लोग इसको राक्षस का मंदिर कहते हैं, जिसका श्रीराम ने संहार किया था।
वा.रा. 3/69/19 से 51 3/70, 71, 72, 73 पूरे अध्याय, मानस 3/32/3 से 3/33/3 तक
कबन्ध आश्रम से शबरी आश्रमः- करड़ीगुड – होसकेर – मर्दनी – सुरेबान -शिबारी पेट-शबरी आश्रम। एस. एच.-133 से 20 कि.मी.।
191. शबरी आश्रम, सुरेबान रामदुर्ग से 14 कि.मी. उत्तर में गुन्नगा गाँव के पास सुरेबान है। जो शबरी वन का ही अपभ्रंश है। आश्रम के आस-पास बेरी वन है। बेर अब भी मीठे होते हैं। यहाँ शबरी माँ की पूजा वन शंकरी, आदि शक्ति तथा
शाकम्भरी देवी के रूप में की जाती है। यहीं श्रीराम व शबरी माँ की भेट हुई थी।
वा.रा. 3/74 पूरा अध्याय, मानस 3/33/3 से 3/36 दोहा तक।
शबरी आश्रम से पम्पासरः- शबरी वन – कन्नूर – नरगुंद – नवलगुंद – अन्नगेरी – गदक – कोपल – होशपेट 83 व 63 से 187 कि.मी.।
नोटः पम्पासरोवर हनुमान हल्ली ऋष्यमूक पर्वत चिंता मणि किष्कंधा द्वार प्रस्रवण पर्वत फटिक शिला सभी किष्किंधा में हंै इनमंे आपसी दूरी अधिक नहीं है ये स्थल बिलारी तथा कोपल दो जिलांे में आते हंै बीच में तुंगभद्रा नदी है अतः स्थानीय सूत्रों की सलाह से मार्ग निर्धारित करें।
192. पम्पासर हनुमान हल्ली पहले यह बहुत बड़ा रहा है। सरोवर के किनारे मंदिरों की कतार है। यहाँ श्रीराम सीतान्वेषण करते हुए आये थे।
वा.रा. 3/75 पूरा अध्याय, 4/1/1 से 125, मानस 3/35/6 3/38/3 से 3/40/1
193. हनुमान मंदिर, हनुमान हल्ली कन्नड़ में हल्ली का अर्थ है गाँव। यहाँ हनुमानजी तथा श्रीराम का मिलन हुआ था। पास ही एक पर्वत पर हनुमानजी की माँ अंजना देवी का मंदिर है।
वा.रा. 4/3, 4 पूरे अध्याय, मानस 4/0/1/4/0/3 से 4/3/3
194. ऋष्यमूक पर्वत, हम्पी सुग्रीव तथा श्रीराम, लक्ष्मण का मिलन हम्पी में ऋष्यमूक पर्वत पर हुआ था। तब सुग्रीव बाली के भय से यहीं रहते थे। यहाँ पहाड़ी में एक कंदरा को सुग्रीव गुफा कहा जाता है।
वा.रा. 3/54/1 से 4 तक 4/2, 5, 6, 7, 8, 10, 11 पूरे अध्याय 4/12/1 से 13, मानस 4/0/1 4/6/12
195. चिन्तामणि अनागुंडी तुंगभद्रा नदी यहाँ धनुषाकार घुमाव लेती है। नदी के एक ओर बाली-सुग्रीव का युद्ध हुआ था तथा दूसरे किनारे पर वृक्षों की ओट से श्रीराम ने बाली को बाण मारा था। यहां श्रीराम के चरण चिह्न हैं।
वा.रा. 4/12/14 से 42, 4/14 पूरा अध्याय, 4/16/14 से 4/25/54 मानस 4/6/13 से 4/10/4
196. किष्किंधा, हम्पी अनागुन्डी गाँव ही प्राचीन किष्किंधा है। यहाँ वाल्मीकि रामायण में वर्णित दृश्य मिलते हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण स्थलों में यहाँ बाली का
भंडार, अंजनी पर्वत, वीरूपाक्ष मंदिर,कोदण्डराम मंदिर, मतंग पहाड़ी दर्शनीय हंै। महत्त्वपूर्ण यह भी है कि राजवंश स्वयं को अंगद का वंशज मानता है
वा.रा. 4/15/1 से 4/16/13 4/26/18 से 42, 4/29 पूरा अध्याय, 4/31/16 से 4/38/14, मानस 4/10/5 से 4/11/5 4/19/1 से 5
197. प्रस्रवण पर्वत श्रीराम ने वर्षा के चार महीने प्रस्रवण चोटी पर बिताये थे तथा वहीं से सीताजी का पता
पाकर लंका के लिए प्रस्थान किया था। हम्पी से 4 कि.मी. दूर माल्यवंत पर्वत की चोटी का नाम प्रस्रवण चोटी है। यहाँ एकमात्र विग्रह मिला है जहाँ श्रीराम ने धनुष धारण नहीं कर रखा।
वा.रा. 4/27, 28 पूरे अध्याय 4/30/1 से 4/31/15 तक, 4/38/15 से 4/47 तक पूरा अध्याय, मानस 4/11/5 से 4/18/4 4/20 दोहा से 4/22/6
प्रसवण पर्वत से स्फटिक शिला दोनों स्थान भी आसपास में ही है।
198. स्फटिक षिला हनुमान जी ने श्रीराम को यहाँ सीता मां की खोज की सूचना दी थी। यहाँ वानरों की सभा हुई थी। अब भी यह राम कचहरी के नाम से प्रसिद्ध है।
वा.रा. 5/64/39 से 45 5/65, 66, 67, 68 पूरे अध्याय 61, 2, 3 पूरे अध्याय, मानस 5/28/4 से 5/34/2 तक।
स्फटिक शिला से कर सिद्धेश्वरः- हम्पी-होसपेट-दानापुरम-कुडलगी-
सोलापुर – मंगलोर हाईवे – चित्रदुर्ग- होड़लकेरे – रामगिरि, एन.एच. 13 – 190 कि.मी.
199. कर सिद्धेष्वर मंदिर होसदुर्ग से 25 कि.मी. दूर रामगिरि नामक एक पहाड़ी है। श्रीराम ने लंका जाते समय भगवान शिव की पूजा की थी। इसलिए पहाड़ी का नाम रामगिरि तथा मंदिर का नाम रामेश्वर है।
वा.रा. 7/4/9 से आगे पूरे अध्याय मानस 5/34/4 से 5/34/ छंद 2 तक।
करसिद्धेश्वर से हाल रामेश्वरः- रामगिरि- गोविन्द हल्ली- माल्लापुरा- इजेरली-क्रास-मवीन कटटे-फाटा पुरा गेट-नरसीपुरा एन.जी. रोड- 20 कि.मी.
200. हाल रामेष्वर चित्रदुर्ग जिले मंे होसदुर्ग से 11 कि.मी. दूर जंगल मेें हाल रामेश्वर में श्रीराम ने शिव पूजा की थी। श्रीराम के ईश्वर अर्थात् रामेश्वर नाम है।
वा.रा. 6/4/9 से आगे पूरे अध्याय मानस 5/34/2 से 5/34/छ-2 तक।
हाल रामेश्वर से दशरथ रामेश्वरः- नरसीपुर – होश हल्ली – होश दुर्ग- गोराविगोदांस हल्ली-कांचीपुरा एस.एच. 47-45 कि.मी.
Leave a Reply