Saturday, April 5, 2025

2-120 राकस हाडा, नारायणपुर

इस स्थान का चित्र उपलब्ध नहीं है । हमने काफी प्रयास किया किंतु दुर्गम क्षेत्र होने के कारण हम चित्र उपलब्ध नहीं करा सकते हैं राकस हाडा, नारायणपुर श्रीराम ने यहाँ राक्षसों का भयंकर विनाश किया था। एक छोटी सी पहाड़ी पर राक्षसों की अस्थियाँ, पत्थरों के रूप में अब भी मिलती हैं। उन्हें जलाने […]

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2-121 रक्सा डोंगरी नारायणपुर

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में नारायणपुर में अवस्थित इस तीर्थ का वास्तविक चित्र उपलब्ध नहीं है । हमने काफी प्रयास किया किंतु अति दुर्गम क्षेत्र होने के कारण हम अब तक चित्र उपलब्ध नहीं कर पाये हैं । साथ दिया चित्र तीर्थ से कुछ दूर अवस्थित जंगल पर आधारित है । रक्शा डोंगरी अर्थात् राक्षसों […]

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2-122 शिव मंदिर तोड़मा

तोड़मा के घनघोर जंगलों में भगवान राम द्वारा पूजित शिवलिंग आज भी विराजमान हैं । वनवास अवधि में दंडकारण्य भ्रमण के दौरान वे यहां आये थे ।

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2-123 शिव मंदिर चित्रकोट (इन्द्रावती) बस्तर (छःगढ)

इन्द्रावती नदी के बहुत ही मनमोहक जल प्रपात के पास एक गुफा में सीताजी तथा रामजी ने लीला की थी। श्रीराम ने यहाँ शिवलिंग की स्थापना की थी।ग्रंथ उल्लेख व आगे का मार्गवा.रा. 3/7, 8 दोनों पूरे अध्याय 3/11/28 से 44 तक, मानस 3/9/1 से 3/11 दोहे तक। विशेष टिप्पणीः श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता […]

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2-124 सीताकुंड बस्तर छत्तीसगढ़

सीता कुण्ड तीरथ गढ़ जगदलपुर से 25 कि.मी. दूर कांगेर नदी के किनारे श्री सीता राम जी की लीला तथा शिव पूजा की कथा प्रसिद्ध है। यहाँ माँ सीता जी ने स्नान किया था।

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2-125 कोटि महेश्वर, बस्तर छत्तीसगढ़

कोटुमसर कोटि महेश्वर का अपभ्रंश है कोटूमसर। जगदलपुर से 40 कि.मी. दूर दक्षिण दिशा में राष्ट्रीय उद्यान में एक अति सुन्दर गुफा है। यहाँ भगवान शिव जी के अनेकानेक लिंग प्रकृति ने निर्मित किये हैं। श्रीराम के वनवास काल में यहाँ आने की लोक कथा प्रचलित है।

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2-126 गुप्तेश्वर रामगिरी कोरापुट ओडीशा

रामगिरि जगदलपुर से 50 कि.मी. पूर्व दिशा में घनघोर जंगल में भगवान शिव एक अंधेरी गुफा में शयन कर रहे हैं। उड़ीसा, मध्य प्रदेश तथा आन्ध्र प्रदेश के हजारों वनवासी दर्शनार्थ आते हैं। निकट ही रामगिरि पर्वत पर श्रीराम के आने का पवित्र चिह्न माना जाता है।

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2-127 अम्मा कुण्ड खैरपुट मलकानगिरी ओडीशा

खैरपुट बाली मेला और गोविन्द पल्ली मार्ग पर खैरपुट नामक गाँव से 4 कि.मी. दूर पहाड़ी पर प्राकृतिक कुण्ड है। यहाँ माँ स्नान करती थीं। सीता माँ द्वारा पालित मछलियाँ आज भी यहाँ मिलती हैं।

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2-128 सीता कुण्ड, खैरपुट मलकानगिरी ओडीशा

खैरपुट अम्मा कुण्ड से 15 कि.मी. आगे घाटी में सीता कुण्ड स्थित है। यहाँ सीता माँ की तलवार ‘ठकुराइन की तलवार’ के नाम से आज भी पूजी जाती है। यहाँ की वनवासी बंडा जाति की महिलाएँ आज भी सीता माँ का श्राप स्वीकारते हुए केश विहीन तथा निर्वस्त्र रहती हैं।

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2-129 डुमरीपाडा बालीमेला मलकानगिरी ओडीशा

डुमरीपाडा बालीमेला मल्कानगिरी से 90 कि.मी. पूर्वोत्तर में डुमरी पाड़ा नामक पहाड़ी व बस्ती है। लोक विश्वास के अनुसार यहाँ श्रीराम ने बाली को मारा था।

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