Saturday, January 11, 2025

2-31 रामसैया चित्रकूट उत्तर प्रदेश

वनवास काल में चित्रकूट में श्री सीताराम जी अनेक स्थलों पर लीला करते थे तथा प्रकृति का आनन्द लेते हुए निकटवर्ती क्षेत्रों में विहार करते थे। इसी क्रम में कभी-कभी यहां रात्रि विश्राम करते थे। आज भी शिला पर श्री सीता राम जी के विश्राम के चिन्ह हैं। दोनों के बीच धनुष रखने का चिन्ह […]

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2-32 कोटितीर्थ चित्रकूट उत्तर प्रदेश

चित्रकूट साधकों की तप स्थली है। यहां कोटि मुनि तपस्यारत थे। वनवास काल में श्रीराम उनके दर्शनार्थ यहां आये थे। आज भी यहां अनेक संत तपस्यारत हैं। वा.रा. 2/116/1 से 26, मानस 2/134 दोहा, 2/307/2, 2/311/3, 2/312 दोहा।

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2-33 देवांगना चित्रकूट उत्तर प्रदेश

यहां इन्द्रपुत्र जयंत की पत्नी ने तपस्या की थी। वनवास काल में श्रीराम के दर्शनार्थ देव कन्याएँ यहां एकत्रित हुई थीं। आज भी यहां तपस्वी साधना करते हैं। वा.रा. 2/116/1 से 26, मानस 2/134 दोहा, 2/307/2, 2/311/3, 2/312 दोहा

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2-34 रामघाट चित्रकूट उत्तर प्रदेश

यह चित्रकूट का बहुत ही प्रसिद्ध स्थल है। पास ही यज्ञवेदी मंदिर है। कुछ विद्वानों का मत है कि, यही वह स्थान विशेष है जहां वनवास काल में श्री सीता राम जी रहते थे। यह भी विश्वास किया जाता है, हनुमान जी की कृपा से गोस्वामी तुलसीदास जी को यहां श्री राम लक्ष्मण जी के […]

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2-35 मांडव्य आश्रम मंडफा उत्तर प्रदेश

इसका वर्तमान नाम मंडफा है जो माण्डव्य का अपभ्र्रंश है। पहाड़ी का नाम भी मंडफा है। यहाँ भरत जी की बहुत मान्यता है।वा.रा. 2/116/1 से 26, मानस 2/134 दोहा 2/307/2 2/311/3 2/312 दोहा।

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2-36 भरत कूप, चित्रकूट उत्तर प्रदेश

भरतजी श्रीराम के राज्याभिषेक के लिए सभी तीर्थों का जल लाये थे। वह पवित्र जल अत्रि मुनि के परामर्श से भरतकूप में स्थापित किया था। भरतकूप कर्वी से 18 कि.मी. है। मानस 2/307/2, 4 2/309 दोहा से 2/310 दोहा तक, मानस 2/311/1, 2, 3,  2/312 दोहा।

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2-37 स्फटिक शिला चित्रकूट मध्य प्रदेश

चित्रकूट कामदगिरि से लगभग 4-5 कि.मी. दूर गहरे जंगल में मंदाकिनी की धारा में एक विशाल सफेद शिला है। यहीं इन्द्र पुत्र जयंत ने कौवे के रूप में सीता माँ पर चंचु प्रहार किया था। मानस 3/0/2 से 3/2 दोहा तक।वा.रा. 5/38/12 से 35 तक।

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2-38 गुप्त गोदावरी चित्रकूट मध्य प्रदेश

चित्रकूट भयंकर जंगल में प्रकृति की अनुपम देन है गुप्त गोदावरी, सीता माँ यहाँ स्नान करती थीं। यहीं मयंक नामक चोर ने उनके वस्त्राभूषण चुराये थे तथा लक्ष्मणजी ने उसे सजा दी थी। मानस 2/248/3 2/307/2

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2-39 टाठी घाट चित्रकूट उत्तर प्रदेश

टाठी घाट चित्रकूट बुंदेलखंडी में टाठी का अर्थ है थाली अर्थात् गोल। यहाँ माँ मन्दाकिनी गोल आकार लेती हैं इसलिए नाम टाठीघाट है। यहाँ जंगल में विचित्र सिद्ध संतों के दर्शन होते हैं। चित्रकूट से अत्रि आश्रम के लिए मंदाकिनी के किनारे-किनारे एक पुराना मार्ग अब भी है।  वा.रा. 2/117/1 से 8 तथा 20, मानस […]

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2-40 अत्रि आश्रम सतना मध्य प्रदेश

यहां श्रीराम, मां सीता, अत्रि मुनि तथा मां अनसूया की अद्भुत भेंट हुई थी। माँ अनसूया की तपस्या से माँ गंगा मंदाकिनी के रूप में 100 धाराओं में यहाँ प्रकट हुई थी। आज भी यह दृश्य देखा जा सकता है। वा.रा. 2/117, 118, 119 पूरे अध्याय, मानस 3/2/2, से 3/6/1 अत्रि आश्रम से अमरावती आश्रमः-  […]

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