Tuesday, January 21, 2025

2-70 सीतामढ़ी हरचोका

जनकपुर से 25 कि.मी. दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में मबइ नदी के किनारे सीतामढ़ी है। यहाँ के मन्दिर अब ध्वस्त हो रहे हैं। सीता माँ ने यहाँ भोजन किया था। श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम (अगस्त्येश्वर मंदिर) गये। अतः वहाँ तक मानस से कोई […]

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2-71 सीतामढ़ी रापा

सीतामढ़ी रापा एक सीधी पंक्ति में यह तीसरी सीतामढ़ी है। जनकपुर से 16 कि.मी. दूर पूर्व दिशा में रापा नदी के किनारे पहाड़ी पर एक तल घर में भगवान शिव का प्राचीन विग्रह स्थापित है। वनवास काल में श्री सीता-राम जी ने यहाँ रात्रि विश्राम किया था। श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी […]

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2-72 सीतामढ़ी छतोड़ा

सीतामढ़ी छतोड़ा जनकपुर से 40 कि.मी. दूर पूर्व दिशा में छतोड़ा के पास नेऊर नदी के किनारे श्री सीता राम जी ने भोजन व विश्राम किया था। अब भी वनवासी सीता माँ से मन्नत मांगने यहां आते हैं। श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम […]

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2-74 श्रीराम मंदिर विश्रामपुर

श्रीराम मंदिर अम्बिकापुर का प्राचीन नाम विश्रामपुर रहा है। माना जाता है कि श्री सीताराम जी यहाँ वर्षों रहे हैं। पूरे क्षेत्र में श्रीराम वनवास की अनेक लोक कथाएँ इस क्षेत्र से संबंधित मिलती हैं। श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम (अगस्त्येश्वर मंदिर) गये। अतः […]

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2-75 लक्षमण पंजा उड़गी

वनवास काल में श्रीराम सरगुजा के जंगलों में लम्बी अवधि तक रहे हैं। उनकी यात्रा की स्मृति में अन्य अवशेषों के साथ लक्ष्मण पंजा भी मिलता है। अर्थात् यहां लक्ष्मण जी के पावन चरण चिह्न हैं। दूर-दूर से वनवासी उनकी पूजा करने आते हैं। श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम […]

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2-76 सीता लेखनी

कई स्थलों पर प्रकृति के रहस्यों को मां सीता से संबंधित माना जाता है। यहां पाषाणों पर मां सीता द्वारा की गयी चित्रकारी के दर्शन व पूजन के लिए गहरे जंगलों में आज भी वनवासी दूर-दूर से आते हैं। चित्रकारी में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र मिलते हैं। सीता लेखनी से श्रीराम-लक्ष्मण पायनः- सीता लेखनी […]

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2-77 राम लक्ष्मण पायन मरहट्टा

‘पायन’ का अर्थ चरण है। वनवास काल में श्रीराम लक्ष्मण एवं सीता जी इसी मार्ग से गये थे। यहाँ से आगे उन्होंने महानदी पार की थी। यहाँ उनके चरण चिह्न बने हैं, जो आज भी देखे जा सकते हंै। मरहट्टा से सरासोरः- गोण्डा-सत्तीपारा-भैयासमुन्द-सरासोर एस.एच. 12/एस.एच 3 से 10 कि.मी.

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2 -78 राम जानकी मंदिर सरासोर

श्रीराम ने यहां सरा नामक असुर का वध किया था तथा शिव पूजा की थी। यहां महान नदी में सीता नहानी तथा राम डोह बने हंै। सघन जंगल में श्रीराम जानकी तथा भगवान शिव के सुन्दर मंदिर बने हंै। श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि के […]

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2-79 सीता बेंगरा

बेंगरा अर्थात् रहने का स्थान। यहाँ श्रीसीताराम जी कुछ काल तक रहे हैं। पहाड़ी में ठीक पीछे लक्ष्मण बंेगरा है। यहां श्रीराम वनवास की चित्रलिपि बहुत सुन्दर व प्राचीन है। चित्रिलिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है। श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम […]

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2-80 चंदन मिट्टी उदयपुर सरगुजा

श्री राम लक्ष्मण ने सरगुजा में उदयपुर के पास मिट्टी से अपनी जटाएं ठीक की थीं। यहाँ प्राचीन राम मंदिर तथा सीता गुफा है। कठिन चढ़ाई के बाद एक गुफा से बहुत चिकनी हरे रंग की मिट्टी निकलती है। यही चन्दन मिट्टी कही जाती है। श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि […]

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