Wednesday, October 23, 2024

2-196 किष्किंधा अनागुन्डी हम्पी कोपल कर्नाटक

हम्पी अनागुन्डी गाँव ही प्राचीन किष्किंधा है। यहाँ वाल्मीकि रामायण में वर्णित दृश्य मिलते हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण स्थलों में यहाँ बाली का भंडार, अंजनी पर्वत, वीरूपाक्ष मंदिर,कोदण्डराम मंदिर, मतंग पहाड़ी दर्शनीय हंै। महत्त्वपूर्ण यह भी है कि राजवंश स्वयं को अंगद का वंशज मानता है

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2-197 प्रस्रवण पर्वत बिल्लारी कर्नाटक

श्रीराम ने वर्षा के चार महीने प्रस्रवण चोटी पर बिताये थे तथा वहीं से सीताजी का पता पाकर लंका के लिए प्रस्थान किया था। हम्पी से 4 कि.मी. दूर माल्यवंत पर्वत की चोटी का नाम प्रस्रवण चोटी है। यहाँ एकमात्र विग्रह मिला है जहाँ श्रीराम ने धनुष धारण नहीं कर रखा।

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2-198 स्फटिक शिला बेल्लारी कर्नाटक

अंतराष्ट्रीय धरोहर के रूप में ख्याति प्राप्त हम्पी त्रेतायुगीन महत्वपूर्ण स्थल है । हंपी से कुछ दूरी पर अवस्थित प्रस्रवण पर्वत और स्फटिक शिला रामायण काल से जुड़े तीर्थ हैं । स्फटिक शिला वह पावन पत्थर है जिस पर बैठकर राम जी ने वानर और भालुओं के साथ मिलकर लंका अभियान की शुरुआत की थी […]

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2-199 करसिद्धेश्वर मंदिर रामगिरि होसदुर्ग चित्रदुर्ग कर्नाटक

होसदुर्ग से 25 कि.मी. दूर रामगिरि नामक एक पहाड़ी है। श्रीराम ने लंका जाते समय भगवान शिव की पूजा की थी। इसलिए पहाड़ी का नाम रामगिरि तथा मंदिर का नाम रामेश्वर है।

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2-200 हाल रामेश्वर चित्रदुर्ग कर्नाटक

चित्रदुर्ग जिले में होसदुर्ग से 11 कि.मी. दूर जंगल मेें हाल रामेश्वर में श्रीराम ने शिव पूजा की थी। श्रीराम के ईश्वर अर्थात् रामेश्वर नाम है।

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2-201 दशरथ रामेश्वर ( गुड़द नेर्लीकर के पास ) हासन कर्नाटक

रामेश्वर से लंका जाते समय श्रीराम आये थे। यहाँ उन्होंने दशरथजी का श्राद्ध किया था।

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2-202 भैरव मंदिर मनकत्तूर

एक लोक कथा के अनुसार स्थानीय प्रभाव से यहाँ लक्ष्मणजी का मन राम भक्ति से हट गया था। राम देवर गुड्डा (राम देव पहाड़ी) के निकट जंगल में भगवान शिव का मंदिर है। वा.रा. 6/4/9 से आगे पूरे अध्याय मानस 5/34/2 से 5/34/छं 2 तक भैरव मंदिर से बाणेश्वर मंदिरः-  बाणावर-दोदन हल्ली-मनकत्तूर , एन.एच.234-12 कि.मी.

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2-203 बाणेश्वर मंदिर बाणावर

कन्नड शब्द बाण होरा का अर्थ है बाण नहीं उठा सकता। लक्ष्मणजी ने श्रीराम के धनुष बाण ले कर चलने से मना कर दिया था। यहां भगवान शिव ने स्थानीय प्रभाव बता कर दोनों को शांत किया था। जन श्रुतियों के अनुसार बाणेश्वर से रामेश्वरम – लक्ष्मणेश्वरः- मनकत्तूर – बाणावर – अर्सीकेरे – हासन – […]

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2-204 रामेश्वर रामनाथपुरा

श्रीराम ने किष्किंधा के बाद कावेरी नदी के साथ-साथ सेना सहित लम्बी यात्रा की थी। तभी उन्होंने यहाँ शिवलिंग की स्थापना की थी। इस स्थान को श्रीराम के दो बार सान्निध्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। वा.रा. 6/4/9 से आगे पूरे अध्याय मानस 5/34/2 से 5/34/छं 2 तक नोटः रामेश्वर तथा लक्ष्मणेश्वर पास ही है लक्ष्मणेश्वर […]

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2-205 लक्ष्मणेश्वर मंदिर रामनाथपुरा

यह मंदिर कावेरी नदी पार करके है। यात्रा में श्रीराम और लक्ष्मणजी अलग-अलग चल रहे थे। शिव पूजा का समय हुआ तो रामजी ने नदी पार नहीं की थी इसलिए लक्ष्मण जी ने कावेरी नदी के पार यहाँ शिव पूजा की तथा लक्ष्मणेश्वर मंदिर की स्थापना की।

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