Tuesday, April 1, 2025

2-155 रामेश्वर पाटौदा नासिक महाराष्ट्र

पंचवटी प्रवास के दौरान श्रीराम आस-पास के क्षेत्रों में भ्रमण करते रहे थे। तभी उन्होंने पाटौदा गाँव में रामेश्वर लिंग की स्थापना की थी। यहाँ स्थापित शिव लिंग में आज भी सर्वदा पानी रहता हैं। स्थानीय लोग इसे दवा (औषधि) के रूप में प्रयोग करते है। सम्भवतः यह अगस्त्य जी के भाई का आश्रम था। […]

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2-156 अगस्तेश्वर मंदिर नासिक महाराष्ट्र

नासिक से 16 कि.मी. उत्तर दिशा में एक अति प्राचीन अगस्त्येश्वर आश्रम माना जाता है। अब यहाँ पिंपलेश्वर महादेव के नाम से एक मंदिर निर्माणाधीन है। प्राचीन मंदिर ध्वस्त हो चुका है। यहीं श्रीराम व अगस्त्य मुनि की भेंट हुई थी। वा.रा. 3/12, 13 पूरे अध्याय, 6/123/46, मानस 3/11/1 से 3/12/9 तक। अगस्तेश्वर मंदिर से […]

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2-157 पंचवटी नासिक महाराष्ट्र

नासिक गोदावरी के किनारे पाँच वट वृक्षों का स्थान है। लोक विश्वास के अनुसार यहीं से रावण ने सीता माँ का अपहरण किया था। वा.रा. 3/15, 16, 46, 47, 48 पूरे अध्याय तथा 3/49/1 से 22, मानस 3/12/9 से 3/28 दोहे तक। नोटः पंचवटी, जन स्थान, सीता सरोवर, नासिक शहर में ही है अतः उनका […]

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2-158 जन स्थान नासिक महाराष्ट्र

नासिक में पंचवटी से 8-10 कि.मी. दूर गोदावरी तथा कपिला नदी के संगम पर श्री लक्ष्मण जी ने शूर्पणखां की नाक काटी थी। नासिका कर्तन् स्थल होने के कारण ही शहर का नाम नासिक है। त्रेता युग में ये क्षेत्र जन स्थान के नाम से प्रसिद्ध था । राक्षस राज रावण का यह प्रमुख केन्द्र […]

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2-159 सीता सरोवर नासिक महाराष्ट्र

पंचवटी से 4 कि.मी. उत्तर दिशा में म्हसरूल में दो सरोवर श्रीराम व सीता माँ के नाम पर हैं। दोनों इन सरोवरों में स्नान करते थे। 1975 के आपात् काल से पूर्व तक यहाँ विशाल मेले लगते रहे थे। गोस्वामी तुलसी दास ने मानस में 3/13/1 से 3/16/1 तक श्रीराम के पंचवटी प्रवास का वर्णन […]

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2-160 रामसेज पर्वत नासिक महाराष्ट्र

रामसेज पर्वत, नासिक से 16 कि.मी. दूर गुजरात मार्ग पेट रोड पर एक पहाड़ी पर श्री सीता रामजी के विश्राम स्थल की मान्यता है। यहाँ सीता रामजी के नाम पर दो कुण्ड भी हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस क्षेत्र में काँटे नहीं हैं तथा मखमली घास है। वा.रा. 3/16/25 मानस 3/13/1 से 3/16/1

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2-161 कुशावृत तीर्थ त्र्यम्बकेश्वर महाराष्ट्र

नासिक से 28 कि.मी. पश्चिम दिशा में गोदावरी के उद्गम स्थल के पास श्रीराम ने कुशों से दशरथ जी का श्राद्ध किया था। इसलिए इस क्षेत्र का नाम कुशावृत तीर्थ है।  वा.रा. 3/16/6 मानस 3/13/1 से 3/16/1 तक

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2-162 रामकुण्ड त्र्यंबकेश्वर महाराष्ट्र

गोदावरी के उद्गम स्थल गोमुख से कुछ आगे चलकर माँ गोदावरी पुनः लुप्त हो गयी थी। लोकमान्यता के अनुसार यहाँ श्रीराम ने बाण द्वारा पुनः माँ गोदावरी को प्रकट किया था। जिस स्थान पर बाण चलाया गया वहाँ अब ये जल एक कुण्ड के रूप विराजमान है । वा.रा. 3/16/2, 3 मानस 3/13/1 से 3/16/1 […]

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2-163 सिद्धेश्वर प्रवरा संगम अ नगर महाराष्ट्र

सिद्धेश्वर प्रवरा संगम पर ये तीर्थ है । लोक विश्वास के अनुसार हरिण रूपी मारीच श्रीराम से डरकर यहाँ छुप गया था। शिव कृपा से श्रीराम को मारीच को ढूँढने में सिद्धता प्राप्त हुई थी। इसलिए यहाँ सिद्धेश्वर मंदिर की स्थापना हुई।

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2-164 ठाण नासिक महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के नासिक जिले में एक क्षेत्र विशेष में ठाण नाम के कई गाँव हैं। इसके पीछे लोक मान्यता ये है कि हिरण रूपी मारीच जंगल में पेड़ों और झाड़ियों के पीछे जान बचाने के लिये छिपता रहा । उसकी मृत्यु से पूर्व रामजी ने अनेक स्थानों पर खडे़ होकर निशाना साधा था किन्तु तीर […]

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