Wednesday, April 2, 2025

1-32 धनुषा मंदिर धनुषा धाम नेपाल

धनुषा नेपाल का प्रमुख जिला है । धनुषा नाम ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल ये भारतीय संस्कृति के उस संधिकाल का प्रतीक है जब विष्णु के एक अवतार परशुराम और उनके बाद के अवतार श्री राम का परस्पर मिलन हुआ था । धनुषा धाम में आज भी पिनाक धनुष के अवशेष पत्थर के […]

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1-33 मणि मंडप रानी बाजार जनकपुर नेपाल

त्रेता युग में मिथिला नरेश सीरध्वज जनक के दरबार में रामजी द्वारा धनुर्भंग के बाद अयोध्याजी से बारात आई। श्री राम सहित चारों भाईयों का विवाह हुआ। जिस स्थान पर जनकपुर में मणियों से सुसज्जित वेदी और यज्ञ मंडप निर्मित हुआ वह समकाल में रानी बाजार के निकट है । यह स्थल मणि मण्डप के […]

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1-34 रत्न सागर जनकपुर नेपाल

लोक मान्यता के अनुसार राजा जनक ने चारों दामादों, बेटियों तथा समधी जी राजा दशरथ जी को दहेज में असीम धन, रत्नादि दिये थे।तब यह सागर रत्नों से भर गया था इसलिए आज भी इसे रत्न सागर कहा जाता है।

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1-35 विहार कुण्ड जनकपुर नेपाल

विवाह के पश्चात् चारों दुल्हा, दुल्हिन यहां आमोद-प्रमोद के लिए आये थे। चारों ने यहां जल-क्रीड़ा की थी इसलिए आज भी इस कुण्ड का नाम विहार कुण्ड है। वा.रा. 1/70, 71, 72, 73 पूरे अध्याय, मानस 1/212/4,1/286/3 से 1/288/2, 3, 4, 1/313/3, 1/319 छंद 1/321/छन्द, 1/322/4 से 1/324/छ-4 विहार कुण्ड से पंथ पाकड़ सीता मढ़ीः- […]

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1-36 पंथ पाकड़ सीतामढ़ी बिहार

जनकपुर से प्रस्थान कर श्री राम की बारात ने प्रथम रात्रि विश्राम पंथ पाकड़ में किया था। माना जाता है कि माँ सीता ने दातुन करके जो फेंक दी थी उसी से इस पाकड़ का जन्म हुआ है। यहाँ से बारात सीता मढ़ी होती हुई सीता कुण्ड पहुची थी सीता मढ़ी का विवरण इस प्रकार […]

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1-37 सीता कुण्ड वेदीवन पूर्वी चंपारण बिहार

यह स्थान पूर्वी चम्पारन में मोतिहारी से लगभग 20 कि.मी. पूर्व दक्षिण कोण में है। माना जाता है कि श्रीराम की बारात ने यहाँ रात्रि विश्राम किया था। यहाँ कुण्ड में सीता माँ का कंगन खुला था। इस कुण्ड में पानी नीचे से ही आता है तथा कभी सूखता नहीं।

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1-38 वेदी वन पूर्वी चंपारण बिहार

मिथिला में लोक परम्परा के अनुसार विवाह के चैथे दिन वेदी बना कर पुनः विवाह की परम्परा है। आज भी इसे चैथाड़ी कहा जाता है। चैथाड़ी के बाद ही विवाह संस्कार पूर्ण माना जाता है। यहां चैथाड़ी की वेदी बनी थी। इसलिए गांव का नाम भी वेदी वन है। निकटवर्ती गांवों के नाम भी इस […]

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1-39 डेरवां गोरखपुर उत्तर प्रदेश

श्रीराम की बारात का तीसरा विश्राम स्थल श्रीराम जानकी मार्ग पर डेरवा गाँव है। चूँकि बारात ने यहाँ डेरा डाला था, इसीलिए गाँव का नाम आज भी डेरवा है।

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1-40 दोहरी घाट मऊ उत्तर प्रदेश

दो हरी, का अपभ्रंश है दोहरी। श्रीराम तथा परशुराम जी दोनों ही विष्णु के अवतार हुए हैं। दोनों की यहाँ सरयूजी के किनारे भेंट हुई थी इसीलिए स्थल का नाम दोहरी घाट है। वाल्मीकि जी के अनुसार परशुराम जी से भेंट के बाद, बारात अयोध्या पहुंची थी। वा.रा. 1/74/18 से 1/76 पूरे अध्याय। दोहरी घाट […]

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1-41 श्री राम जानकी मार्ग बिहार – उत्तर प्रदेश

प्राचीन परम्परा से अयोध्याजी से पूर्व दिशा में एक कच्चे मार्ग को राम जानकी मार्ग कहा जाता रहा है। अब यह पक्की सड़क बन गयी है तथा इसका नाम श्रीराम जानकी मार्ग ही है। लोकमान्यता के अनुसार बारात के साथ श्री सीताराम जी का रथ इसी मार्ग से आया था।

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